Tuesday, December 4, 2012

सहज मित्रता

एक गधा एक दिन अपने मालिक से तंग हो कर जंगल में भाग आया। जंगल में हरी और मजेदार घास का स्वाद अच्छा लगा तो वहीँ लोटने भी लगा।
इतने में एक गिलहरी उसके बगल से गुजरी। ऐसा जानवर उसने कभी नहीं देखा था। सोचा, मुलाकात की जाये। पेड़ पर चढ़ कर थोड़ी दूरी बनाते हुए उसने लोटते गधे को आवाज़ दी। गधे के चारों पैर ऊपर। बीच से गर्दन निकाल कर देखने लगा। गिलहरी पूछ रही थी- तुम्हारा नाम क्या है?

गधे ने बताया- गधा। गिलहरी ने देखा, गधे के खुर हैं, इसलिए वह पेड़ पर नहीं चढ़ सकता।
थोड़ी नीचे आ कर गिलहरी ने गधे की कहानी सुनी, और उसे पता चला की नए होने के कारण गधे का कोई मित्र नहीं था। गधे को प्यास लगी थी, तो गिलहरी ने नाले का पता बताया। गधा खुश हो गया -
"मैं प्यास बुझा कर फिर आता हूँ, फिर आगे बात होगी।"
"लेकिन संभल कर जाना, वहां आम के पेड़ पर एक लड़ाकू बन्दर रहता है।"
"झगड़ालू  बन्दर?"
"हाँ, उसकी सभी जंतुओं से लड़ाई होती रहती है। अभी सूअर की पूंछ नोच ली, जब वह वहां पानी पीने गया, जबकि सूअर उसका दोस्त था।"

गधा सतर्क हो कर नाले से पानी पीने चला। इसके पहले तो मालिक ही पानी देता था, यहाँ इस खतरनाक बन्दर से बचते हुए पानी पीना पड़ेगा, ऐसा तो सोचा नहीं था।

चलते हुए नाला आ गया, और गधे ने जी भर कर पानी पिया, और वापस आ ही रहा था की उसको एक गौरैया मिली। गौरैया ने पहचान करने के पश्चात् पूछा- कहाँ से आ रहे थे?
गधे ने बताया - "अभी नाले से प्यास बुझा के और लड़ाकू बन्दर को दोस्त बना कर लौट रहा हूँ।"
गौरैया ने कहा - "उसकी किसी से नहीं बनती।"
"गिलहरी भी ऐसा वृत्तान्त बता रही थी।" फिर गधा गौरैया को गिलहरी से हुयी बात बताता चला गया।
"आम वाले बन्दर की आदत है, शुरू में दोस्ती करता है, फिर लड़ना शुरू कर देता है। उसने सब के साथ ऐसा ही किया है।"
"ये मैं उससे मिलते ही समझ गया था।", गधे ने कहा, "जितनी आतुरता से उसने मेरा इस वन में स्वागत किया, बातों ही बातों में ये पता चला की वो भी मित्रहीन है, समझ में आ गया कि इसका स्वाभाव ही इसका शत्रु है।"

"कैसे?"

"उसने खुद ही बताया कि  सूअर उसका मित्र होता था। लेकिन वह गन्दा रहता था। उसने सूअर को कई बार कहा था कि सफाई रखे, लेकिन सूअर उसके पेड़ से अपनी पीठ रगड़ के उसका पेड़, और नाले का तट मैला करता रहता था। एक दिन उसने उसे नोच खसोट कर भगा दिया।"

गौरैया  बोली - "वो सही कह रहा है, ऐसा ही हुआ था। सूअर ने भी ऐसा ही कहा था। उस बेचारे की समझ ही नहीं आया कि उसने ऐसा क्या कर दिया।"

"मेरी समझ में यही बात आई", गधे ने जवाब दिया, "कि बन्दर मित्रता जल्दबाजी में करता है। और जब उसके मित्र स्वतंत्रता का उपभोग करते हैं, अथवा अपने असली व्यक्तित्व को दर्शाते हैं, तो वो चिढ़  जाता है।"

"और इस बात की क्या विश्वसनीयता है कि तुम उसके शत्रु नहीं बनोगे?"

"ये, की मैं अपनी पीठ किसी और के पेड़ पे नहीं रगड़ता, और न ही मैं अचानक हुयी गहरी लगने वाली दोस्ती में स्वतंत्रता का उपभोग करता हूँ।" कह कर गधे ने गौरैया से विदा ली।



शिक्षा: तुरंत गहरी मित्रता करना शत्रुता को न्योता देना है।

1 comment:

  1. बढ़िया वाला है, मज़ा आ गया

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