Monday, August 31, 2009

शोध


किसी जंगल में, एक वृक्ष की छाँव में बैठा एक खरहा अपने संगणक पर कोई रचना कर रहा था| तभी वहां से एक लोमड़ी गुजरी| लोमड़ी ने खरहे से पूछा, "मित्र, तुम क्या कर रहे हो?" "पी एच डी की थीसिस लिख रहा हूँ", खरहा बोला, "मेरे शोध का विषय यह है की खरहा लोमड़ी का शिकार कैसे करे?" लोमड़ी को बड़ा अचम्भा हुआ| बोली, "ऐसा होते तो मैंने कभी सुना नहीं!" "देखने की इच्छुक हों अगर आप, तो मेरे साथ मेरी गुफा में जायें|" खरहे के निवेदन और अपनी उत्कंठा को शांत करने के लिए लोमड़ी उसके पीछे चल पड़ी| कुछ क्षणोपरांत खरहा लोमड़ी की हड्डी अपने दांतों में दबा कर, कूदता हुआ वापस गया, और वापस संगणक पर अपने प्रयोग का विस्तार लिखने लगा|
इतने में वहां एक भेड़िया आया| भेड़िये ने पूछा, "कुछ कर रहे हो दोस्त?" खरहे ने उत्तर दिया "हाँ! मैं एक शोध कर रहा हूँ| शोध है कि खरहा भेड़िये का शिकार कैसे करे|" भेड़िये को अपने कानों पर विश्वास हुआ| उसने कहा, "दोस्त, ऐसा होना असंभव है|" और फ़िर लोमड़ी की भांति भेड़िया भी अपना उत्सुकता शांत करने हेतु खरहे के पीछे उसकी गुफा को रवाना हो गया, और जल्द ही खरहा पूर्व की भांति भेड़िये की हड्डी कुतरता हुआ बाहर अपने स्थान पर डटा|
ठीक उसी समय, एक जंगली सूअर वहां पहुँचा| उसको खरहे को देख कर खाने का मन हो आया| उसने ललचाई आंखों से खरहे की ओर देखा, और लगभग अपनी लार रोकता हुआ पूछा- "बड़े ज़ोर शोर से काम हो रहा है?" खरहे ने उसकी आंखों में अपने लिए भूख देखी| उसने शांत हो कर कहा "हाँ, मैं शोध कर रहा हूँ की खरहा जंगली सूअर का माँस कैसे पाये|" शूकर ऐसा सुन कर ताव में गया, आँखें गुरेरते हुए बोला, "अगर तूने मेरा शिकार ना किया ना, तो मैं आज तेरा नर्म माँस खा के मानूंगा| अब तू मेरा शिकार कर के दिखा|" "तुम भागोगे तो नहीं ना?" खरगोश ने मासूमियत से पूछा| एक कदम और आगे कर सूअर बोला, "नहीं, लेकिन मैं देखना चाहूँगा की तुम किस तरह मेरा शिकार करोगे|"
खरगोश ने टेर लगायी, "गुरूजी, कृपया बाहर आकर मुझे बताएँगे की सूअर का शिकार कैसे करते हैं?" खरहे की पुकार पर शेर गुहा से बाहर निकला| उसे देख कर सूअर के प्राण सूख गए| वह वहीं जड़ हो गया| शेर ने उसपे झपट्टा मारा और एक ही पंजे में उसे ढेर कर दिया| खरहे की ओर मुड़कर वह बोला, "सूअर का शिकार ऐसे करते हैं|"

शिक्षा
: किसी भी तंत्र में गुरु का प्रवीण होना अत्यावश्यक है|